स्किल्स vs सिलेबस

सिलेबस एक ऐसी इमारत है जिसकी नीव है स्किल यानी कौशल जैसे इमारत को मजबूत होने के लिए नीव का मजबूत होना आवश्यक है । उसी प्रकार बच्चों को सिलेबस पूरा करने के लिए कुछ कौशल का आना महत्वपूर्ण है जैसे :

Writing Skill
Hindi
English
Math – Numbers

बच्चों की हैंडराइटिंग अच्छी होना महत्वपूर्ण है आप अक्सर पाएंगे कि जिन बच्चों की हैंडराइटिंग खराब होती है वे अपना काम छुपाते हैं वे अपना काम दिखाने से डरते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उनकी हैंडराइटिंग खराब है और दूसरे यदि उसे देखेंगे तो उसे समझ नहीं पाएंगे और उपहास करेंगे । बच्चों के अंदर से इस भय को निकालने के लिए उनकी हैंडराइटिंग अच्छी होना आवश्यक है । अच्छी हैंडराइटिंग होने से बच्चे अपना काम दूसरों को दिखाने के लिए उत्सुक होंगे और अपना काम बार-बार चेक करने स्वतः आएंगे। क्लास के प्रत्येक बच्चे की हैंडराइटिंग साफ सुंदर व स्पष्ट होनी चाहिए ताकि किसी भी बच्चों में किसी अन्य की राइटिंग को देख हीन भावना न हो । बच्चे जब भी तेजी से जल्दी-जल्दी वह गंदा खराब व अस्पष्ट लिखते हैं जिसे रफ वर्क कह दिया जाता है । बच्चे अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान यानी जीवन के 12 से 15 साल यह रफ वर्क करते हैं जिससे उनकी आदत बन जाती है रफ तरीके से काम को करने की, यह जल्दबाजी फिर सिर्फ पढ़ाई या नोटबुक तक की सीमित नहीं रहती बल्कि उनके जीवन के अन्य कामों में भी इसका असर दिखाई पड़ता है। उनके जीवन में जल्दबाजी दिखाई पड़ती है, तेजी दिखाई पड़ती है। काम को पूर्ण स्पष्ट व धैर्य पूर्वक करने के बजाय किसी तरह काम को निपटाने की मंशा दिखाई पड़ती है । वे जल्दबाजी व अस्पष्टता के एक ऐसे भंवर में फंस जाते हैं जिससे निकालना आसान नहीं होता। बच्चों को इस भंवर से निकालने के लिए उन्हें धीरे-धीरे, ध्यानपूर्वक, साफ व स्पष्ट लिखने की आदत डलवाएं। समय भले ज्यादा लगे लेकिन धैर्य पूर्वक – ध्यानपूर्वक ही लिखें ऐसी सोच विकसित करें। समय की परवाह न करें बल्कि समझ, ध्यान व धैर्य विकसित करने की परवाह करें।

हैंडराइटिंग इसलिए अच्छी नहीं करनी है कि दूसरों को दिखा सकें दूसरों को प्रसन्न कर सकें बल्कि हैंडराइटिंग इसलिए अच्छी होनी आवश्यक है ताकि बच्चों को हर काम तसल्ली से पूरे ध्यान व समर्पण के साथ करने की आदत पड़े। जब भी धीरे-धीरे लिखेंगे ध्यान से धैर्य से पूर्ण समर्पित होकर लिखेंगे और यह आदत उन्हें 12 से 15 साल डलवाई जाएगी तो इसका असर उनके जीवन में दिखाई पड़ेगा उनके हर काम में दिखाई पड़ेगा । वे अपने हर काम को ध्यान धैर्य पूर्ण होकर पूरे समर्पण के साथ करेंगे।

बात जब बच्चों की राइटिंग अच्छी करवाने की हो तो अक्सर हम उन्हें बुक से देखकर लिखने के लिए कहते हैं हमे लगता है कि बच्चे जितना ज्यादा लिखेंगे उतना उनकी राइटिंग सुंदर होगी जबकि यह सच्चाई नहीं है वह जितना ज्यादा लिखेंगे इससे उनकी नोटबुक के पन्ने तो भरेंगे लेकिन राइटिंग में कुछ खास फर्क नहीं आएगा ।
अच्छी हैंडराइटिंग ज्यादा लिखकर नहीं बल्कि राइटिंग के मेथड को सीख कर सही बनती है। यह ठीक ऐसा ही है जैसे यदि कोई चाय बनाने की कोशिश करे और सबसे पहले उसमें चीनी डाल दे फिर चाय पत्ती डाल दे उसके बाद पानी डालें और फिर सोचे कि मेरी चाय अच्छी क्यों नहीं बनी ! तो जिस तरह चाय बनाने की एक विधि है इस तरह दुनिया के हर काम को करने की एक विधि है ऐसे ही हैंडराइटिंग अच्छी करने की भी विधि है जिसे सीख कर बच्चे अपने हैंडराइटिंग को साफ सुंदर व स्पष्ट कर सकते हैं। बच्चों को राइटिंग ठीक करने की विधि सिखाएं उनकी राइटिंग स्वतः ही ठीक हो जाएगी ।

Reading Skill
Hindi Language
English Language

सिलेबस को समझने की पहली कड़ी है रीडिंग यानी पढ़ना । ये वह मूलभूत कौशल है जो हर बच्चे में होना आवश्यक है । जिस बच्चे को पढ़ना नहीं आता होगा वह लिखा हुआ समझ भी नहीं सकता है लिखा हुआ समझने के लिए लिखा हुआ पढ़ना आना आवश्यक है। स्कूलों में एक बहुत बड़ी संख्या ऐसी होती है जिन्हें फ्लो में रीडिंग नहीं आती होती है फिर बात चाहे क्लास थर्ड की हो या नाइंथ की, 12th की हो या सेवंथ की ! सभी क्लासेस में ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें रीडिंग में प्रॉब्लम होती है जो अटक – अटक कर पढ़ते हैं जो ठीक से इमला- श्रुतिलेख नहीं कर पाते हैं जिन्हें यदि हिंदी, इंग्लिश में कुछ बोला जाए तो वह ठीक ठीक शब्दों मात्राओं का चयन करने, सही स्पेलिंग लिखने में असमर्थ होते हैं। पढ़ना यानी रीडिंग व श्रुतिलेख न आने के बावजूद भी बच्चे किसी तरह अपने सिलेबस को पूरा करते हैं, रटते हैं, एग्जाम में किसी तरह लिख देते हैं, उत्तीर्ण होते जाते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं और दुर्भाग्यवश उनकी नींव खोखली रह जाती है।

बच्चों को फ्लो में रीडिंग आना महत्वपूर्ण है यदि बच्चे अटक-अटक कर पढ़ते हैं तो यह अटकन का असर उनके अन्य कामों पर भी दिखाई पड़ता है । अटक अटक कर पढ़ रहे बच्चे में कॉन्फिडेंस की कमी होती है वह दूसरों के सामने खुलकर अपने को व्यक्त करने में असमर्थ होता है।

रीडिंग के 2 मायने हैं पहला देखकर पढ़ना दूसरा सुनकर लिखना (इसमला या श्रुति लेख) यह दोनों ही काम हर बच्चे को आने महत्वपूर्ण है। इसके लिए जिन भी बच्चों को रीडिंग नहीं आती हो उन्हें अलग से मुख्य तौर पर पहले रीडिंग सिखाई जाए यह स्किल डेवलप किया जाए बिना किसी दबाव बिना किसी सिलेबस की चिंता किए। जब तक उन्हें पूर्णतः फ्लो में रीडिंग ना आ जाए तब तक उन्हें सिलेबस न कराया जाए ।  अलग से पूरा समय सिर्फ स्किल को सिखाने में समय लग सकता है, हो सकता है सिलेबस पर इसका असर पड़े पर यहां समझने जैसा यह है कि पहले स्किल या पहले सिलेबस ? महत्वपूर्ण क्या ? बच्चों की नींव मजबूत करना या खोखली नींव पर किसी तरह इमारत बनाने की शुरुआत कर देना ? स्वयं विचारें

Translation Skill
Hindi to Hindi
English to Hindi
Hindi to English
English to English

आज के समय में हिंदुस्तान में इंग्लिश मीडियम स्कूलों का चलन अपने चरम पर है जहां हर पेरेंट्स अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ना चाहते हैं वह चाहते हैं कि उनके बच्चे भी इंग्लिश पढ़ना, बोलना, समझना जाने और यही सिखाने के लिए वे अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में भेजते हैं। लेकिन समझने का विषय यह है की इन इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ रहे ज्यादातर बच्चे क्या इंग्लिश मीडियम को समझ पाते हैं ? क्या वे ज्यादातर बच्चे इंग्लिश बोलने पढ़ने व समझने में सक्षम होते हैं ? आप पाएंगे कि ज्यादातर बच्चों को ट्रांसलेशन में दिक्कत होती है यानी वे इंग्लिश को हिंदी में समझना व हिंदी को इंग्लिश में कन्वर्ट करने में असमर्थ होते हैं ! फिर बात चाहे क्लास फिफ्थ की हो या टेंथ की ! सभी स्कूलों में सभी क्लासों में एक बहुत बड़ी संख्या में बच्चों को ट्रांसलेशन स्किल में समस्या होती है।

सोच कर देखिए बच्चों को जो भाषा नहीं आती हो और पूरा दिन उसी भाषा में काम करवाया जाए तो क्या वह काम उन्हें समझ में आएगा ? यकीनन नहीं आएगा ! क्योंकि भाषा एक महत्वपूर्ण साधन है विचारों को व्यक्त करने के लिए एक दूसरे की बात को समझने के लिए अब यदि भाषा ही समझ में ना आए भाषा का ज्ञान ही ना हो तो सामने वाले की बात समझ में कैसे आए ? यही कारण है बच्चों को अधिकांश चीज समझ में ना आने का !

क्लास के हर बच्चे को ट्रांसलेशन सीखना अत्यंत महत्वपूर्ण है हर इंग्लिश मीडियम स्कूल के लिए जहां पर भी बच्चों की मातृभाषा से अन्य भाषा में पढ़ाई करवाई जाती है । समझ में आने के लिए भाषा का आना महत्वपूर्ण है यदि आपको हिंदी आती हो और आपको कोई बात हिंदी में कही जाए तो आसानी से समझ में आ जाएगी किंतु वही बात कोई ऐसी भाषा में कही जाए जो भाषा आपको ना आती हो तो आप नहीं समझ पाएंगे ! आप इसका भावार्थ नहीं पकड़ पाएंगे ! इसलिए बच्चों को शुरुआती तौर पर सबसे पहले ट्रांसलेशन ही सिखाया जाए उसके बाद ही सिलेबस की ओर बढ़ा जाए बिना ट्रांसलेशन सीखे, सिलेबस करना नींव खोकली होते हुए भी उसपर इमारत बनाने जैसा है। सबसे पहले आधार मजबूत किया जाना आवश्यक है उसके बाद ही उस आधार पर कोई निर्माण किया जा जाना चाहिए ।
सबसे पहले बच्चों को यह स्किल सीखना होगा बिना किसी सिलेबस के दबाव के यानी सिलेबस को कुछ समय के लिए साइड रखकर पूर्णतः स्किल डेवलप करने के लिए समय देना होगा । ऐसा करने में यकीनन समय लगेगा ! हो सकता है सिलेबस पूरा करने पर इसका असर हो लेकिन यहां विचारणीय बात यह है कि पहले स्किल या पहले सिलेबस ? समय की परवाह करें या नींव मजबूत करें ? स्वयं विचारें

Picturization Skill
Words to Pictures
Sentences to Pictures
Paragraph / Topic to Pictures
Story/ Chapter to Pictures

हर बच्चे को सबसे पहले आर्टिस्ट बनाएं बच्चों को पिक्चर्स बनाना सिखाएं इसकी शुरुआत रेंडम पिक्चर्स से करें यानी बच्चे स्वेच्छा से कोई भी पिक्चर्स बनाएं इसके बाद उन्हें कुछ शब्द दें जिन्हें बच्चे पिक्चर्स में बदलें उसके बाद वाक्य को पिक्चर्स में बदलना सिखाएं उसके बाद छोटे-छोटे पैराग्राफ – टॉपिक की पिक्चर्स बनवाएं इसके बाद बच्चों को कुछ कहानियां की पिक्चर्स बनवाएं तदोपरांत चैप्टर को पिक्चर में बदलना सिखाएं।

बच्चों को पिक्चर बनाना सिखाने से बच्चों में क्रिएटिविटी आएगी ।  बच्चों का मन शांत होगा एवं उनकी ओवरथिंकिंग नेचुरल थिंकिंग में बदलती जाएगी। जिस तरह एक आर्टिस्ट का मन शांत होता है अशांत मन से ड्राइंग नहीं की जा सकती लेकिन ड्राइंग करते-करते मन की उत्तल-पुथल को शांत किया जा सकता है इसी प्रकार ड्राइंग करते-करते बच्चों के अशांत मन को शांत किया जा सकता है । पिक्चर्स बनाते-बनाते बच्चों में धैर्य, ध्यान, एकाग्रता विकसित की जा सकती है। बिना धैर्य व बिना ध्यान के, भटके मन से पिक्चर्स नहीं बन सकती लेकिन यदि इस पर कार्य किया जाए और बचपन से ही बच्चों को लगातार पिक्चर्स बनाने की शब्दों को पिक्चरों में कन्वर्ट करने की आदत डलवा दी जाए तो बच्चों का मन शांत होता जाएगा उनमें धैर्य, ध्यान, एकाग्रता का विकास होता जाएगा ।

पिक्चर्स बनाना सीखने में व हर सब्जेक्ट में हर चैप्टर की पिक्चर्स बनाने में यकीनन समय लगेगा लेकिन यहां विचारणीय यह है कि हमारा उद्देश्य किसी तरह बच्चों को सिलेबस पूरा कर देना है ? या उनमें ध्यान, धैर्य, एकाग्रता विकसित कराना ? हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी समय से सिलेबस पूरा कराने की है या बच्चों के जीवन को शांतिपूर्ण बनाने की ? स्वयं विचारें

Questioning Skill
Short Answer type Questions
Long Answer type Questions
Multiple Choice Questions, etc.

हर बच्चे को जिज्ञासु बनाने के लिए बच्चों से तरह-तरह के प्रश्न बनवाए जाएं और उत्तर का विचार न किया जाए केंद्र में प्रश्न रहे ना कि उत्तर। जैसे-जैसे बच्चे प्रश्न बनाते रहेंगे उनमें उत्तर का उदय स्वतः होता जाएगा । बच्चों को एक लेखक की भांति अपने चैप्टर टॉपिक में से ज्यादा से ज्यादा एवं अलग-अलग प्रकार के प्रश्न बनाने सिखाए जाएं उनसे बनवाए जाएं। इससे बच्चों में तार्किक शक्ति का विकास होगा जिससे उनमें समझ का विस्तार होगा और वह अलग-अलग दृष्टिकोण से विचारने में सक्षम बनेंगे। इस दुनिया में ऐसा कोई प्रश्न नहीं जिसका उत्तर हमारे भीतर न हो ऐसा अनेकों दार्शनिकों व बुद्धिजीवियों का मानना रहा है और यह तभी संभव है जब हमारे पास प्रश्न हो जब हम भीतर से प्रश्न करना जाने अतः बच्चों से चैप्टर टॉपिक पर ज्यादा से ज्यादा प्रश्न बनवाया जाएं। चैप्टर टॉपिक पर प्रश्न बनाते-बनाते उनसे जीवन के अनेकों पहलुओं पर भी प्रश्न बनवाया जाएं । ऐसा करने से सिलेबस के समय से पूरा होने पर असर पड़ सकता है किंतु यहां विचारणीय यह है कि हमारा उद्देश्य बच्चों को जिज्ञासु बनाना है या किसी तरह सिलेबस पूरा कराना ? हमारा काम बच्चों में तर्क करने, समझ का विकास करने का है या सिलेबस पूरा कराने का ? स्वयं विचारें

Chapter Making Skill
Lower than own class Chapter Making
Own Class Chapter Making
Higher than own class Chapter Making

ये वह महत्वपूर्ण स्किल है जो सिलेबस को पूर्ण करने के लिए आवश्यक है । सिलेबस के चैप्टर टॉपिक को किस तरीके से बच्चे स्वाध्याय कर समझा जाए जिसमें उन्हें याद करने रिवीजन करने की जरूरत ना पड़े यह इस स्किल को सीखकर ही संभव है।

इस स्किल में बच्चे निम्न स्टेप्स को फॉलो कर इसे सीखा जा सकता है –

चैप्टर टॉपिक को एक बार रीड करें
पूरे चैप्टर टॉपिक की ज्यादा से ज्यादा पिक्चर्स बनाएं
चैप्टर टॉपिक की पिक्चर्स पर ज्यादा से ज्यादा प्रश्न बनाएं
चैप्टर टॉपिक की पिक्चर्स को एक दूसरे को बच्चे एक्सप्लेन करें इसके बाद टीचर को सुनाए

इन स्टेप को फॉलो कर चैप्टर मेकिंग स्किल सीखने के बाद बच्चे अपने चैप्टर को स्वयं समझने पूरा करने में सक्षम होंगे । वे अपने सिलेबस को आसानी से पूरा कर सकेंगे जिसमें उन्हें याद करने और रिवीजन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी । इन स्टेप्स को फॉलो कर चैप्टर मेकिंग स्केल में पारंगत होने के उपरांत बच्चे अपने सिलेबस को 3 से 4 महीने में भी पूरा कर सकते हैं।

Explanation Skill
To Team/ Friends
To Teacher/ Parents
To Audience

इस स्किल में बच्चे अपने आप को एक्सप्रेस करना सीखेंगे जिसके लिए सबसे पहले उन्हें जो भी आता हो वह आपस में एक दूसरे को अपनी टीम को सुनने एक्सप्रेस करने की आदत डलवाए जिससे उनकी झिझक कम होगी एवं आत्मविश्वास बढ़ेगा । इसके बाद बच्चे टीचर्स को बोर्ड की सहायता लेकर सुनाएं बोर्ड का इस्तेमाल करने व अपने से बड़ों को सुनाने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे अपने आप को एक्सप्रेस करने में सक्षम होंगे । इसके बाद वे स्टेज पर भीड़ के सामने भी अपने विचार सरलता से व्यक्त करने में सक्षम हो सकेंगे।

Video Making Skill
Live Chapter Making Video
Collaborative Video Making

वीडियो मेकिंग स्केल में बच्चे खुद से खुद का आकलन करने का गुण विकसित करेंगे हम दूसरों की वीडियो से अपने अंदर उतना सुधार नहीं कर सकते जितना अपनी वीडियो को खुद से देखकर अपने में कर सकते हैं। बच्चे जो भी चैप्टर बनाएं अथवा जो भी कार्य करें उसका वीडियो बनाएं बनवाएं और उन्हें दिखाएं इससे वह अपने आप को देख पाएंगे और अपनी गलतियों को जान पाएंगे। खुद को देखकर वह अगली बार इससे बेहतर करने का प्रयत्न करेंगे।  

Project Making Skill
Hindi, English, History, Political Science, Novel, Chapters / Stories to Drama & Play
Science, Geography, etc. to Projects
Math to real life situations to equations, etc.

जीवन का हर काम एक प्रोजेक्ट ही है इसी प्रकार हर सब्जेक्ट का हर कॉन्सेप्ट प्रोजेक्ट में यानी असल जीवन में उपयोग कर देखा जाना चाहिए जीवन में उसकी उपयोगिता की प्रत्यक्षता समझ आनी चाहिए इसके लिए हर चैप्टर टॉपिक को प्रोजेक्ट के रूप में बदल जाना चाहिए। हर सब्जेक्ट को प्रोजेक्ट के रूप में बदलने से बच्चों में हर विषय को जीवन से जोड़कर देखने दृष्टिकोण विकसित होगा ।

ये 9 महत्वपूर्ण कौशल हैं जो नींव हैं पूरी शिक्षा की पढ़ाई की, इन कौशलों के आधार पर टिकी है सिलेबस की इमारत । यदि इन कौशलों को प्रत्येक बच्चे में विकसित कर दिया जाए तो हर बच्चा सिलेबस पूरा करने लायक बन सकता है। हर स्कूल का प्राथमिक कार्य है बच्चों में ये मूल एवं महत्वपूर्ण स्किल डेवलप करने का इन स्किल्स को प्रत्येक बच्चे में विकसित करने उपरांत ही सिलेबस कराना सार्थक है अन्यथा बिना मजबूत नींव के जिस प्रकार इमारत का औचित्य नहीं रहा जाता दिल उसी प्रकार बिना स्किल्स के सिलेबस का औचित्य समाप्त हो जाता है ।
आप पाएंगे किसी भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में एक बहुतायत संख्या में बच्चों को ट्रांसलेशन नहीं आता होता है, बहुतों को रीडिंग नहीं आती होती है, ज्यादातर की राइटिंग खराब होती है उसके बावजूद भी बच्चों को सिलेबस पूरा कराने की दौड़ में डाल दिया जाता है । सोचकर देखिए जिस बच्चे को पढ़ना नहीं आता हो ट्रांसलेशन न आता हो और सभी बुक्स इंग्लिश यानी एक ऐसी भाषा में हो जिस भाषा का ज्ञान उन बच्चे को ना हो तो क्या वो उन चैप्टर्स को टॉपिक को समझ पायेगा ? यकीनन नहीं अब क्योंकि वह उसका समझ तो पाएगा नहीं तो उसके पास एक ही विकल्प बचता है कि वह उन चैप्टर्स को टॉपिक को नोट्स, क्वेश्चंस आंसर्स को याद करे रट्टा लगाते और किसी तरह एग्जाम में लिख दे ताकि नंबर पा सके और अगली क्लास में उन्नति कर सके । सोचकर देखिए क्या सही मायनों में इसे उन्नति कहा जा सकता है ? क्या यही है पढ़ाई ? क्या यही है सिलेब पूरा कराना ? क्या इसलिए ही बच्चे अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा इस पढ़ाई को शिक्षा ग्रहण करने के लिए दे रहे हैं ? स्वयं विचारों ।

स्कूल्स सिलेबस को कुछ समय के लिए साइड रखकर प्राथमिक तौर पर इन सभी कौशलों को प्रत्येक बच्चे में विकसित करने का कार्य करें सबसे पहले बच्चों को चिह्नित करें कि उन्हें कौन कौन से कौशल नहीं आते इसके उपरांत प्रत्येक बच्चे में उन कौशलों का विकास करें । इसमें समय जरूर लगेगा पर एक बार यदि प्रत्येक बच्चे की नींव मजबूत हो गई तो इमारत स्वतः ही मजबूत बनेगी व अपने उच्चतम स्तर तक प्रगति करेगी ।

इन स्किल्स पर कार्य करते समय सभी बच्चों का स्तर अलग अलग होगा । सभी बच्चों का प्रतिदिन का कार्य एक जैसा नहीं अपितु अलग अलग होगा ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *