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स्किल्स vs सिलेबस

सिलेबस एक ऐसी इमारत है जिसकी नीव है स्किल यानी कौशल जैसे इमारत को मजबूत होने के लिए नीव का मजबूत होना आवश्यक है । उसी प्रकार बच्चों को सिलेबस पूरा करने के लिए कुछ कौशल का आना महत्वपूर्ण है जैसे : Writing SkillHindi English Math – Numbers बच्चों की हैंडराइटिंग अच्छी होना महत्वपूर्ण है […]

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सिलेबस कि टेंशन

प्रश्न : इस तरह हर चैप्टर –  टॉपिक के पिक्चर और क्वेश्चन बनाने में काफी समय लगेगा क्या इस तरह इस विधि से समय से सिलेबस पूरा कर पाएंगे ? उत्तर : महत्वपूर्ण बात यह नहीं है कि सिलेबस समय से पूरा हो पाएगा या नहीं अपितु उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि सिलेबस समय

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सिलेबस : पिक्चर्स और क्वेश्चंस

प्रश्न : “समझने” से यह तो स्पष्ट है कि याद करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी पर समझने की इस विधि को क्या हर सबजेक्ट पर अप्लाई किया जा सकता है ? क्या हर सबजेक्ट की पिक्चर्स बनाना और क्वेश्चंस बनाना संभव है ? उत्तर : यदि यह स्पष्ट है कि समझने की जो विधि है

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समझाना vs समझने लायक बनाना

प्रश्न : समझाने और समझने लायक बनाने में क्या अंतर है इन दोनों के भेद को कैसे स्पष्ट किया जा सकता है और बच्चों को समझने लायक कैसे बनाया जाए ? किसी को समझाना और किसी को समझने लायक बना देना यह दोनों बहुत विपरीत बातें हैं । जब तक आप किसी को समझा रहे

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पढ़ाई का मूल उद्देश्य

प्रश्न : पढ़ाई का मूल उद्देश्य क्या होना चाहिए ? पढ़ाई का मूल होना चाहिए “स्वाध्याय” | स्वाध्याय के दो अर्थ हैं पहले “स्वयं से अध्ययन” दूसरा “स्वयं का अध्ययन” यानी सेल्फ स्टडी और स्टडी ऑफ़ सेल्फ |  यही दोनों मुख्य काम है पढ़ाई के, शिक्षा के, सबसे पहले हर बच्चे को सेल्फ स्टडी के

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पढ़ाई में मन ना लगने का कारण !

प्रश्न : आज के समय में बच्चों का पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता है उन्हें जब तक कहा ना जाए तब तक वह पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं ऐसा क्यों ? उत्तर : दरअसल यह गलतफहमी है कि आज के समय में बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है सच्चाई तो यह है

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ज्ञान

हम सभी के जीवन में “पढ़ाई” की एक अहम भूमिका है। शिक्षा ही हमें मनुष्य बनाए रखने में सक्षमता प्रदान करती है । “इंसान बिन ज्ञान पशु समान” ऐसा कई दार्शनिक व बुद्धिजीवियों द्वारा माना गया कि यदि मनुष्य के पास ज्ञान नहीं होगा तो वह पशु समान ही है। इसी के मध्य नजर आज

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